फिर आज स्वतंत्रता की कहानी याद आ गई फिर आज स्वतंत्रता की कहानी याद आ गई
जिंदगी वैसे ढ़ली , जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती गयी शोहरत पर जब चढ़ा सिर्फ तुम याद आ गयी जिंदगी वैसे ढ़ली , जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती गयी शोहरत पर जब चढ़ा सिर्फ तुम य...
जो गीत लबों तक आ कर रुक जाते थे उनको फिर से गुनगुनाऊँगी। जो गीत लबों तक आ कर रुक जाते थे उनको फिर से गुनगुनाऊँगी।
बटुआ तुम्हारा ही बढ़ाता है शान, इससे ही है मेरा अभिमान। बटुआ तुम्हारा ही बढ़ाता है शान, इससे ही है मेरा अभिमान।
बहुत मनाया घर वालों ने, फिर खाना किया पसंद। बहुत मनाया घर वालों ने, फिर खाना किया पसंद।
वो सब जो ये नहीं देखते हैं नहीं सुनते हैं नहीं बोलते हैं सिर्फ एक। वो सब जो ये नहीं देखते हैं नहीं सुनते हैं नहीं बोलते हैं सिर्फ एक।